Tuesday 7 August, 2007

हरियाणवी मखौल - मुँह दुक्खै स‌ै

एक बै फत्तू खेत म्ह रेडियो स‌ुणे था। रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी, बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह... फत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या स‌ै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया स‌ै। फत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या - दूर-दूर की बताण लाग री स‌ै, लवै नाका टूट्या पड़या स‌ै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै स‌ै।

शब्दार्थ:
लुगाई - औरत, हालण - भूकम्प, नाका - खेत में पानी रोकने के लिए बनाई गई मिट्टी की बाढ़, छोंह - गुस्सा, लवै - नजदीक

Tuesday 19 June, 2007

सबकी कब्र खोद द्‌यूंगा

ल्यो जी या दकान खोले तो मीन्ने होग्ये अर म्‌हूरत कर्‌या कोनी। इस्सै खातर आज दकान का म्‌हूरत कर्‌या सूं, देक्खां किसी बोणी होवै सै।

घुग्घू कब्र खोदण का काम कर्‌या करदा था। एक बर इसा होया अक गाम म्ह दो-तीन साल बरसात कोनी होई तो धरती करड़ी होग्यी अर घुग्घू नै कब्र खोददी हाण घणा जोर लगाणा पड़दा। एक दिन गाम म्ह खूब बरसात होई तो घुग्घू सरपंच धौरे गया अर बोल्या, सरपंच साब गाम म्ह रुक्का मरवा द्‌यो अक सारे गाम आले आकै अपणी कब्र का माप दे जावैं, इब धरती नरम होरी सै सबकी कब्र खोद द्‌यूंगा।

Tuesday 27 February, 2007

पहले हरियाणवी चिट्ठे का शुभारंभ

श्री गणेशाय नमः॥ ॥सरस्वत्यै नमः महर्षि अगस्त्य विजयते तुंगेश्वराय नमः जय बद्री विशाल जय बाबा केदारनाथ

राम राम भाईयो, पाठकां की डिमांड पै हाजिर सै हरियाणवी का पैहला चिट्ठा हरियाणवी चौपाल razz

इस चिट्ठे की कहाणी कुछ इसी सै के आपणे ई-पंडित चिट्ठे पै हरियाणवी मखौल पोस्ट करदा रहै करुं था तो एक दिन सागर भाईसाब बोल्ये अक हरियाणवी चिट्ठा शुरु कर द्‍यो। उनकी या बात मन्नै जंच गी, या बात एक जनवरी की सै। इब बोत दिनां तक तो नाम का चक्कर रह्‍या अक कै नाम रक्खूं। फेर ढीला सा पढ़ ग्या था पर सागर भाई बीच बीच म्ह याद दिलांदे रह्‍ये। इब या कोई इसी मीने की बात सै जद एक दिन आपणा स्टैट काऊंटर चैक करया था कि एक इन्कमिंग लिंक दिख्या। ले भई मैं हैरान मान ग्या। बंदा गूगल तै खोजदे होए पोहंच्या था haryana चुटकुला। मैं गूगल की आर्टीफिशयल इंटेलीजेंस नै बी मान ग्या अक एकदम सही जगां भेज्या बंदा। बस भाई मन्नै कह्‍या इब तो बणाणा ऐ पड़ागा हरियाणवी चिट्ठा। गेल्ली कल संजै भाई नै होर फूंक भर दी मेरी हरियाणवी की तारीफ करकै

इब दिक्कत या थी अक लिखूंगा कै इस चिट्ठे म्ह तो भाईसाब बोल्ये अक यो ए मखौल वगैरा लिख दियो होर कै।

फेर मन्नै निम्नलिखित बातां सोच कै चिट्ठा शुरु कर ई दिया।

» हरियाणे की इस माट्टी नै ई पाल पोस कै बड़ा करया, इसका अहसान चुकाण की एक कोशिश ई सही। होर कुछ नी तो कै बेरा कुछ होर लोग बी कदै मेरी देक्खा देक्खी हरियाणवी म्ह लिखणा शुरु कर दें। कम तै कम आपणी भाषा का प्रचार तो होवेगा।

» कोण सै डाक्टर नै कह रक्ख्या अक रोज लिखिए, आपणै निठल्ले भाईसाब जिस तरियां उत्तरांचल पै मीने म्ह दो तीन पोस्टां लिक्खै करां ओ ई तरीका आप्पां भी फिट करांगे। smile

» एक ब्लॉग लिखणां ई तो इसा काम सै जिस खातर दमाग की जरुरत कोनी, बस कुछ भी छाप द्‍यो। नारद माराज की किरपा तै लोग आ ई ज्यांगै। होर कुछ नी तो ठाकै हरियाणवी मखौल ई चेप दिया करांगे। lol

» के बेरा भाई आज तै ५-१० साल पीच्छा कुछेक हरियाणवी ब्लॉग हो ग्ये तो लोग मन्नै हरियाणवी का आदि चिट्ठाकार तो कहै करांगे। wink

उम्मीद सै भाईयों आदें रहोगे याड़ै मेरी बकबक सुणण खातर। mrgreen

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