Tuesday 7 August, 2007

हरियाणवी मखौल - मुँह दुक्खै स‌ै

एक बै फत्तू खेत म्ह रेडियो स‌ुणे था। रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी, बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह... फत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या स‌ै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया स‌ै। फत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या - दूर-दूर की बताण लाग री स‌ै, लवै नाका टूट्या पड़या स‌ै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै स‌ै।

शब्दार्थ:
लुगाई - औरत, हालण - भूकम्प, नाका - खेत में पानी रोकने के लिए बनाई गई मिट्टी की बाढ़, छोंह - गुस्सा, लवै - नजदीक

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