पहले हरियाणवी चिट्ठे का शुभारंभ
॥श्री गणेशाय नमः॥ ॥सरस्वत्यै नमः॥ ॥महर्षि अगस्त्य विजयते॥ ॥तुंगेश्वराय नमः॥ ॥जय बद्री विशाल॥ ॥जय बाबा केदारनाथ॥
राम राम भाईयो, पाठकां की डिमांड पै हाजिर सै हरियाणवी का पैहला चिट्ठा हरियाणवी चौपाल
इस चिट्ठे की कहाणी कुछ इसी सै के आपणे ई-पंडित चिट्ठे पै हरियाणवी मखौल पोस्ट करदा रहै करुं था तो एक दिन सागर भाईसाब बोल्ये अक हरियाणवी चिट्ठा शुरु कर द्यो। उनकी या बात मन्नै जंच गी, या बात एक जनवरी की सै। इब बोत दिनां तक तो नाम का चक्कर रह्या अक कै नाम रक्खूं। फेर ढीला सा पढ़ ग्या था पर सागर भाई बीच बीच म्ह याद दिलांदे रह्ये। इब या कोई इसी मीने की बात सै जद एक दिन आपणा स्टैट काऊंटर चैक करया था कि एक इन्कमिंग लिंक दिख्या। ले भई मैं हैरान मान ग्या। बंदा गूगल तै खोजदे होए पोहंच्या था haryana चुटकुला। मैं गूगल की आर्टीफिशयल इंटेलीजेंस नै बी मान ग्या अक एकदम सही जगां भेज्या बंदा। बस भाई मन्नै कह्या इब तो बणाणा ऐ पड़ागा हरियाणवी चिट्ठा। गेल्ली कल संजै भाई नै होर फूंक भर दी मेरी हरियाणवी की तारीफ करकै।
इब दिक्कत या थी अक लिखूंगा कै इस चिट्ठे म्ह तो भाईसाब बोल्ये अक यो ए मखौल वगैरा लिख दियो होर कै।
फेर मन्नै निम्नलिखित बातां सोच कै चिट्ठा शुरु कर ई दिया।
» हरियाणे की इस माट्टी नै ई पाल पोस कै बड़ा करया, इसका अहसान चुकाण की एक कोशिश ई सही। होर कुछ नी तो कै बेरा कुछ होर लोग बी कदै मेरी देक्खा देक्खी हरियाणवी म्ह लिखणा शुरु कर दें। कम तै कम आपणी भाषा का प्रचार तो होवेगा।
» कोण सै डाक्टर नै कह रक्ख्या अक रोज लिखिए, आपणै निठल्ले भाईसाब जिस तरियां उत्तरांचल पै मीने म्ह दो तीन पोस्टां लिक्खै करां ओ ई तरीका आप्पां भी फिट करांगे।
» एक ब्लॉग लिखणां ई तो इसा काम सै जिस खातर दमाग की जरुरत कोनी, बस कुछ भी छाप द्यो। नारद माराज की किरपा तै लोग आ ई ज्यांगै। होर कुछ नी तो ठाकै हरियाणवी मखौल ई चेप दिया करांगे।
» के बेरा भाई आज तै ५-१० साल पीच्छा कुछेक हरियाणवी ब्लॉग हो ग्ये तो लोग मन्नै हरियाणवी का आदि चिट्ठाकार तो कहै करांगे।
उम्मीद सै भाईयों आदें रहोगे याड़ै मेरी बकबक सुणण खातर।